Diwali Celebration Aboard INS Vikrant
Prime Minister Shri Narendra Modi addressed the armed forces personnel during a Diwali celebration on board the INS Vikrant, India’s indigenously built aircraft carrier, on October 20, 2025. Describing the occasion as a remarkable moment, he highlighted the vast ocean on one side and the immense strength of India’s brave soldiers on the other. The Prime Minister noted that the sunlight sparkling on the sea resembled the lamps lit by valiant soldiers during Deepavali, forming a divine garland of lights. He expressed his privilege in celebrating Diwali among the brave personnel of the Indian Navy.
A Memorable Night at Sea
Recalling his night spent aboard INS Vikrant, Shri Modi described the deep night at sea and the sunrise as making this Diwali especially memorable. From the deck of INS Vikrant, he extended heartfelt Diwali greetings to all 140 crore citizens of India.
INS Vikrant: A Symbol of Aatmanirbhar Bharat
Reflecting on the day INS Vikrant was handed over to the nation, the Prime Minister remarked that it is not merely a warship but a testament to 21st-century India’s hard work, talent, impact, and commitment. He highlighted that on the same day, the Indian Navy renounced a major symbol of colonial legacy by adopting a new flag inspired by Chhatrapati Shivaji Maharaj. Shri Modi emphasized, “INS Vikrant today stands as a powerful symbol of Aatmanirbhar Bharat and Made in India,” showcasing India’s military prowess. He noted that the very name of INS Vikrant disrupted Pakistan’s confidence during Operation Sindoor, underscoring its strategic significance.
Operation Sindoor: A Triumph of Coordination
The Prime Minister saluted the Indian Armed Forces for their exceptional coordination during Operation Sindoor, which compelled Pakistan to surrender swiftly. He praised the Indian Navy’s fear-inducing presence, the Air Force’s extraordinary skill, and the Army’s bravery, affirming that all personnel involved deserve congratulations.
Advancing Towards Self-Reliance in Defense
Shri Modi emphasized the importance of self-reliance for a strong military, stating that India’s armed forces have made significant strides in this direction over the past decade. He noted that thousands of military items are no longer imported, with most essential equipment now manufactured domestically. India’s defense production has tripled, crossing ₹1.5 lakh crore last year. Since 2014, Indian shipyards have delivered over 40 indigenous warships and submarines, with a new vessel inducted every 40 days on average.
Boosting Defense Exports
The Prime Minister highlighted the global interest in India’s missiles like BrahMos and Akash, proven during Operation Sindoor. He affirmed India’s goal to become one of the world’s top defense exporters, noting a 30-fold increase in defense exports over the past decade, driven by defense start-ups and indigenous units.
Indian Navy: Guardian of the Indian Ocean
Shri Modi underscored the Indian Navy’s role as the guardian of the Indian Ocean, securing 66% of the world’s oil supply and 50% of container shipments passing through these waters. Through mission-based deployments, anti-piracy patrols, and humanitarian operations, the Navy serves as a global security partner. The Prime Minister also praised the Navy for hoisting the national flag on every Indian island on January 26, fulfilling a national resolve.
Humanitarian Missions
India’s Navy has been instrumental in global humanitarian efforts, from delivering clean water to the Maldives during ‘Operation Neer’ in 2014 to aiding Sri Lanka during floods in 2017 and Indonesia after a tsunami in 2018. The armed forces have also evacuated thousands of Indian and foreign nationals from crisis zones like Yemen and Sudan, reinforcing global trust in India’s capabilities.
Eradicating Maoist Terrorism
The Prime Minister celebrated a significant milestone in India’s security landscape: the near-elimination of Maoist terrorism. From 125 affected districts before 2014, only 11 remain impacted, with just 3 significantly affected. Over 100 districts are now free from Maoist terror, enabling development like highways and industries. Shri Modi noted that these regions are celebrating Diwali freely for the first time, with record sales during the GST Bachat Utsav.
India’s Armed Forces: Pillars of National Security
Shri Modi lauded the armed forces’ service across land, sea, and air, highlighting the Navy’s role in securing maritime boundaries, the Air Force’s commitment to the skies, and the Army’s resilience in deserts and glaciers. He also acknowledged the contributions of the BSF, ITBP, SSB, Assam Rifles, CRPF, CISF, and the Indian Coast Guard in safeguarding India’s coastline and national security.
India’s Rapid Progress and Global Role
The Prime Minister emphasized India’s rapid progress in fulfilling the dreams of its 140 crore citizens, with the armed forces playing a vital role in nation-building. He described the forces as not just followers but leaders with the courage to overcome challenges. Shri Modi concluded by affirming that India’s mountain peaks and ocean waves will echo the nation’s triumph, resonating with the unified voice of ‘Bharat Mata Ki Jai!’
भारत माता की जय!
भारत माता की जय!
भारत माता की जय!
आज का यह दिन अद्भुत है, यह क्षण यादगार है, यह दृश्य अद्भुत है। आज मेरे एक ओर अथाह समुद्र है, तो दूसरी ओर मां भारती के वीर सिपाहियों का अथाह सामर्थ्य है। आज मेरे एक ओर अनंत क्षितिज है, अनंत आकाश है, तो दूसरी ओर अनंत शक्तियों को समेटे यह विशाल, विराट आईएनएस विक्रांत है। समुद्र के पानी पर सूर्य की किरणों की यह चमक एक तरह से वीर जवानों द्वारा जलाए दीपावली के दीये हैं। यह हमारी अलौकिक दीप मालाएं हैं, मेरा सौभाग्य कि इस बार मैं नौसेना के आप सब वीर जवानों के बीच यह दिवाली का पावन पर्व मना रहा हूं।
साथियों,
आईएनएस विक्रांत पर बिताई कल की रात, इस अनुभव को शब्दों में कहना कठिन है। मैं देख रहा था, जो उमंग-उत्साह से आप भरे हुए थे और जब मैंने देखा कि आपने स्वरचित गीत गाए कल और शायद आपने गीतों में जिस प्रकार से ऑपरेशन सिंदूर का वर्णन किया, शायद कोई कवि इस अनुभूति को प्रकट नहीं कर पाएगा, जो युद्ध के मैदान में खड़ा जवान कर पाता है। एक तरफ मैं देख रहा था, सैन्य शक्ति को।
साथियों,
यह बड़े-बड़े शिप, हवा से भी तेज गति से चलने वाले हवाई जहाज, यह पनडुब्बियां, यह अपनी जगह पर है। लेकिन जो जज्बा आप में है न, वो उसको भी जानदार बना देता है। यह शिप भले ही लोहे के हों, लेकिन जब आप उस पर सवार होते हैं न, तब वो जांबाज जीवित सैन्य बन जाता है। मैं कल से आपके बीच हूं, एक-एक पल मैंने कुछ न कुछ सीखा है, कुछ न कुछ जाना है। जब दिल्ली से निकला था, तो मन करता था कि मैं भी इस पल को जी लूं।
लेकिन साथियों,
आप लोगों का परिश्रम, आप लोगों की तपस्या, आप लोगों की साधना, आप लोगों का समर्पण, यह इतनी ऊंचाई पर है, इतनी ऊंचाई पर है कि मैं उसे जी नहीं पाया। लेकिन जान जरूर पाया हूं, जान सका हूं। मैं अंदाजा लगा सकता हूं कि इसे जीना कितना कठिन होगा। लेकिन जब आपसे निकट रहकर के आप की सांस को अनुभव कर रहा था, आपकी धड़कन को महसूस कर रहा था, आपकी आंखों की वो चमक को देख पा रहा था, तब मैं रात जब सोया, कल थोड़ा जल्दी सोया, जो कभी सोता नहीं हूं। शायद जल्दी सोने का कारण भी यह होगा कि आपको जब कल दिनभर देखा, तो भीतर जो संतोष का भाव था, वो नींद मेरी नहीं, संतोष की नींद थी।
साथियों,
समुद्र की गहरी रात और सुबह का सूर्योदय, मेरी दिवाली कई मायनों में खास बन गई है और इसलिए आपके बीच फिर एक बार दिवाली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं! आपको भी शुभकामनाएं और आईएनएस विक्रांत की इस वीर भूमि से कोटि-कोटि देशवासियों को भी दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं और खास आपके परिवारजनों को दीपावली की बहुत शुभकामनाएं!
साथियों,
दीपावली के पर्व में हर किसी को अपने परिवार के बीच दिवाली मनाने का मन करता है। मुझे भी मेरे परिवारजनों के बीच दिवाली मनाने की आदत हो गई है और इसलिए आप जो मेरे परिवारजन हैं न, उनके बीच मैं दिवाली मनाने चला जाता हूं, आप आपके बीच आया हूं और मैं भी यह दिवाली मेरे परिवारजनों के साथ मना रहा हूं और इसलिए यह दिवाली मेरे लिए खास है।
साथियों,
जब मुझे याद है, जब आईएनएस विक्रांत को देश को सौंपा जा रहा था, तो मैंने कहा था विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है, विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है, यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। आप सबको याद होगा, जिस दिन देश को स्वदेशी आईएनएस विक्रांत मिला था, उसी दिन भारतीय नौसेना ने गुलामी के एक बड़े प्रतीक चिह्न का त्याग कर दिया था। हमारी नेवी ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रेरणा से नया ध्वज अपनाया था। छत्रपति शिवाजी महाराज की जय! छत्रपति शिवाजी महाराज की जय! छत्रपति शिवाजी महाराज की जय!
साथियों,
हमारा आईएनएस विक्रांत आज आत्मनिर्भर भारत और मेड इन इंडिया का बहुत बड़ा प्रतीक है। महासागर को चीरता हुआ, स्वदेशी आईएनएस विक्रांत भारत की सैन्य क्षमता का प्रतिबिंब है। अभी कुछ ही महीने पहले हमने देखा है, विक्रांत ने अपने नाम से ही पूरे पाकिस्तान की रातों की नींद उड़ा दी थी। जिसका नाम ही दुश्मन के साहस का अंत कर दे, वो है आईएनएस विक्रांत! वो है आईएनएस विक्रांत! वो है आईएनएस विक्रांत!
साथियों,
मैं इस अवसर पर हमारी सेनाओं को खासतौर पर सैल्यूट करना चाहता हूं। भारतीय नौसेना द्वारा पैदा किए, जो भय पैदा किया गया है। भारतीय वायुसेना द्वारा दिखाए गए अद्भुत कौशल ने, भारतीय सेना की जांबाजी ने, तीनों सेनाओं के जबरदस्त समन्वय ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को इतनी जल्दी घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। और इसलिए साथियों, आज मैं फिर एक बार आईएनएस विक्रांत की इस पवित्र साधना स्थली से, पराक्रमी स्थली से, तीनों सेना के जांबाज जवानों को फिर एक बार सैल्यूट करता हूं।
साथियों,
जब दुश्मन सामने हो, जब युद्ध की आशंका हो, जब जिसके पास अपने दम पर लड़ाई लड़ने की ताकत हो, उसका पलड़ा हमेशा भारी रहता है। सेनाओं के सशक्त होने के लिए उनका आत्मनिर्भर होना बहुत आवश्यक है। यह वीर जवान इसी मिट्टी में पैदा हुए हैं, इसी मिट्टी में पले हैं, जिस मां की गोद से उन्होंने जन्म लिया है, वो मां भी इसी मिट्टी में पली बड़ी है और इसलिए इस मिट्टी के लिए मरने के लिए, इस मिट्टी के मान सम्मान के लिए अपने आप को खपा देने की वो प्रेरणा रखता है। दुनिया से साढ़े 6 फिट के हट्टे-कट्टे जवानों को लाकर मैं खड़ा कर दूंगा और कहूंगा, आपको पैसे बहुत दूंगा, लड़ लो, क्या वो आपकी तरह मरने के लिए तैयार होंगे? क्या आपकी तरह वो जान लगा देंगे? जो ताकत आपका भारतीय होने में है, जो ताकत आपका जीवन भारत की मिट्टी से जिस प्रकार से जुड़ा हुआ है, वैसे ही हमारा हर औजार, हमारा हर शस्त्र, हमारा हर पुर्जा जैसे-जैसे भारतीय होता जाएगा, हमारी ताकत को चार चांद लग जाएंगे। हमें गर्व है कि पिछले एक दशक से हमारी सेनाएं तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं। हमारी सेनाओं ने हजारों ऐसे सामानों की लिस्ट बनाई और तय किया कि अब यह सामान बाहर से नहीं मंगवाया जाएगा। नतीजा यह हुआ कि सेना के लिए जरूरी ज्यादातर साजो सामान अब देश में ही तैयार होने लगा है। पिछले ग्यारह वर्षों में हमारा डिफेंस प्रोडक्शन तीन गुना से ज्यादा हो गया है। पिछले साल तक यह रिकॉर्ड डेढ़ लाख करोड़ रुपए से अधिक पहुंच गया है। मैं एक और उदाहरण देश को बताना चाहता हूं, 2014 से अब तक भारतीय शिपयार्ड से नौसेना को 40 से ज्यादा स्वदेशी युद्धपोत और पनडुब्बियां मिले हैं और देशवासी, आप जहां भी मुझे सुन रहे हो, एक आंकड़ा याद रखना और मैं पक्का मानता हूं, आज आपके यह सुनने के बाद आपकी दिवाली के दीये और ज्यादा तेज प्रकाशित हो जाएंगे। जो मैं कहना चाहता हूं वो क्या है, आज हमारी क्षमता क्या है, अब तो औसतन हर 40 दिन में एक नया स्वदेशी युद्धपोत या पनडुब्बी नेवी में शामिल की जा रही है, हर 40 दिन में एक।
साथियों,
हमारी ब्रह्मोस और आकाश जैसी मिसाइलों ने ऑपरेशन ‘सिंदूर’ में भी अपनी क्षमता साबित की है। ब्रह्मोस का तो नाम ही ऐसा है कि सुनते ही कई लोगों को चिंता हो जाती है कि ब्रह्मोस आ रहा है क्या! अब दुनिया के कई देश इन मिसाइलों को खरीदना चाहते हैं। मुझे विश्व के जो भी लोग मिलते हैं, उनकी इच्छा एक होती है कि हमें भी मिल जाए। भारत तीनों ही सेनाओं के लिए हथियार और उपकरण एक्सपोर्ट करने की क्षमता बिल्ड कर रहा है। हमारा लक्ष्य है कि भारत पूरी दुनिया के टॉप डिफेंस एक्सपोर्टर देशों में शामिल हो। पिछले एक दशक में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 30 गुना से अधिक बढ़ गया है। और सफलता के पीछे हमारी बहुत बड़ी भूमिका डिफेंस स्टार्टअप्स की है, स्वदेशी डिफेंस इकाइयों की है। आज हमारा स्टार्टअप भी दम दिखा रहा है।
साथियों,
शक्ति और सामर्थ्य को लेकर भारत की परंपरा रही है- ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय! अर्थात्, हमारा विज्ञान, हमारी समृद्धि और हमारी ताकत, मानवता की सेवा और मानवता की सुरक्षा के लिए होती है। आज जब interconnected world में देशों की अर्थव्यवस्था और प्रगति समुद्री रास्तों पर निर्भर है, तब भारत की नेवी ग्लोबल stability में अहम भूमिका निभा रही है। आज दुनिया की 66 परसेंट oil supply, दुनिया के 50 परसेंट कंटेनर शिपमेंट, हिंद महासागर से होकर गुजरते हैं। इन रूट्स की सुरक्षा में इंडियन नेवी भारतीय महासागर की guardian की तरह तैनात है साथियों, आप यह काम कर रहे हैं। इसके अलावा, Mission-based deployments के जरिए, Anti-piracy patrols के जरिए और मानवीय मदद वाले operations के जरिए, भारतीय नौसेना इस पूरे रीज़न में ग्लोबल सेक्योरिटी पार्टनर की भूमिका निभाती है।
साथियों,
हमारे islands की security और integrity में भी हमारी नेवी का बड़ा रोल है। कुछ समय पहले, हमने फैसला लिया था कि 26 जनवरी को देश के हर island पर तिरंगा फहराया जाना चाहिए। देश के उस संकल्प को हमारी नेवी हर 26 जनवरी को आन-बान-शान के साथ पूरा करती रहती है, मैं नेवी को बधाई देता हूं! आज भारत के हर द्वीप पर नौसेना तिरंगा फहरा रही है।
साथियों,
आज जब भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है, तो हम प्रयास कर रहे हैं कि भारत के साथ ग्लोबल साउथ के सभी देश भी तेजी से आगे बढ़ें और इसके लिए हम ‘महासागर मैरिटाइम विज़न’, उस पर हम तेज गति से काम कर रहे हैं। हम कई देशों के विकास में उनके पार्टनर बन रहे हैं और साथ ही, अगर जरूरत पड़ती है, तो हम धरती के किसी भी कोने में मानवीय मदद के लिए भी मौजूद रहते हैं। अफ्रीका से लेकर साउथ ईस्ट एशिया तक, आपदा के समय, विपत्ति के समय दुनिया भारत को विश्वबंधु के रूप में देखती है। 2014 में हमारे पड़ोसी देश मालदीव में पानी का संकट आया, हमने ऑपरेशन नीर चलाया। हमारी नेवी स्वच्छ पानी लेकर मालदीव पहुंची। 2017 में श्रीलंका में बाढ़ की विभीषिका आई, भारत ने सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाया। 2018 में इंडोनेशिया में सुनामी की तबाही आई, भारत राहत बचाव के कामों में इंडोशिया के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हो गया। इसी तरह, म्यांमार में भूकंप से आया विनाश या फिर 2019 में मोज़ाम्बीक और 2020 में मेडागास्कर का संकट हो, भारत हर जगह सेवा की भावना से पहुंचा।
साथियों,
हमारी सेनाओं ने विदेशों में फंसे लोगों को सुरक्षित लाने के लिए भी समय-समय पर अभियान चलाए हैं। यमन से लेकर सुडान तक, जहां-जहां जरूरत पड़ी, आपके शौर्य और साहस ने दुनिया भर में रह रहे भारतीयों के भरोसे को बहुत मजबूत किया है, हमने हजारों विदेशी नागरिकों का भी जीवन बचाया है, सिर्फ भारतीयों का नहीं, उस देश में फंसे हुए कई देश के नागरिकों को भी हम बचाकर के निकालकर के लाए, उनके घर तक पहुंचाया है।
साथियों,
हमारे सैन्य बलों ने जल-थल-नभ, हर मोर्चे पर और हर परिस्थिति में देश की सेवा की है, समर्पण भाव से सेवा की है, पूरी संवेदनशीलता के साथ सेवा की है। समंदर में हमारी नेवी देश की समुद्री सीमाओं और व्यापारिक हितों की सुरक्षा के लिए तैनात रहती है। आकाश में हमारी एयरफोर्स भारत की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहती है और जमीन पर, तपते रेगिस्तान से लेकर ग्लेशियर्स तक, हमारी सेना, हमारे BSF के जवान, हमारे ITBP के जवान सब मिलकर के चट्टान की तरह खड़े रहते हैं। इसी तरह, अलग-अलग मोर्चों पर, SSB, असम राइफल्स, CRPF, CISF और इंटेलिजेंस एजेंसीज़ के जवान भी seamlessly एक unit के रूप में हर जवान माँ भारती में सेवा में डटा रहता है। मैं आज भारतीय तटरक्षक, इंडियन कोस्ट गार्ड्स की भी सराहना करूंगा! वो जिस तरह नेवी के साथ समन्वय बनाकर हमारी कोस्टलाइन सिक्योरिटी में दिन-रात तैनात रहते हैं, उनका योगदान राष्ट्र रक्षा के इस महायज्ञ में बहुत ज्यादा है।
साथियों,
हमारे सुरक्षा बलों के पराक्रम और हमारे सुरक्षा बलों के साहस के कारण ही बीते वर्षों में देश ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह उपलब्धि है- माओवादी आतंक का खात्मा! आज देश नक्सली-माओवादी आतंक से मुक्ति की कगार पर है, मुक्ति दस्तक दे रही है दोस्तों। 2014 से पहले देश के करीब सवा सौ जिले माओवादी हिंसा की चपेट में थे, सवा सौ जिले और वो सवा सौ जिले पिछले 10 साल की मेहनत के कारण यह संख्या घटती गई, घटती गई, घटती गई। और अब सवा सौ से घटकर के सिर्फ 11 रह गई है 11 और 11 में भी जिसको थोड़ा अभी भी उनका प्रभाव नजर आ रहा है, वो संख्या तो सिर्फ 3 जिले बचे हैं, 125 में से सिर्फ 3, सौ से ज्यादा जिले माओवादी आतंक से पूरी तरह आज़ाद होकर पहली बार खुली हवा में सांस ले रहे हैं, शानदार दिवाली इस बार मना रहे हैं। करोड़ों लोग पीढ़ियों बाद पहली बार डर और खौफ से, उसके साये से निकलकर विकास की मुख्यधारा का हिस्सा बन रहे हैं। जिन इलाकों में माओवादी नक्सली सड़कें नहीं बनने देते थे, स्कूल नहीं खुलने देते थे, अस्पताल नहीं बनने देते थे, बने-बनाए चल रहे स्कूलों को बम से उड़ा दिए जाते थे, अस्पतालों को, डॉक्टरों को गोलियों से भून दिया जाता था, मोबाइल टावर्स नहीं लगने देते थे, वहाँ अब हाइवेज़ बन रहे हैं, नए उद्योग लग रहे हैं, स्कूल और अस्पताल वहां के बच्चों का भविष्य गढ़ रहे हैं। देश को सफलता हमारे सभी सुरक्षा बलों के तप, त्याग और साहस से ही मिली है और मुझे खुशी है कि ऐसे अनेक जिलों में आज पहली बार लोग आन-बान-शान के साथ दीवाली मनाने जा रहे हैं।
साथियों,
मैं आज वीर जवानों के बीच में खड़ा हूं। हम नौसेना के जवान हैं, मौत को मुट्ठी में लेकर के चलना, यह आपके लिए बाएं हाथ का खेल होता है। लेकिन पुलिस के जो यह जवान जो डंडा लेकर के सिर्फ चलते रहते हैं, हाथ में डंडे से ज्यादा कुछ होता नहीं है, उनके पास उतने साधन भी नहीं होते हैं और उनकी ट्रेनिंग भी नागरिकों के साथ मिलजुल करके काम करने की होती है, लेकिन मेरे इन पुलिस बेड़े के अलग-अलग जवानों ने, चाहे बीएसएफ हो, सीआरपीएफ हो, सारे बेड़े के जवानों ने नक्सलियों के साथ जो लोहा लिया है न, जो लड़ाई लड़ी है, काबिल-ए-दाद है दोस्तों, मैं आज दिवाली के पावन पर्व पर मेरे पुलिस बेड़े के इन जवानों को लाख-लाख बधाई देता हूं। मैं ऐसे जवानों को जानता हूं, जिनके पास अब पैर नहीं है, लेकिन जज्बा वैसा ही है, किसी का हाथ कटा हुआ है, किसी के लिए व्हीलचेयर से उतरना मुश्किल हो गया है, मैं ऐसे अनेक परिवारों को जानता हूं, जिन्होंने माओवाद नक्सलियों ने उनको शिकार बनाया, हाथ काट दिए, पैर काट दिए, गांव में जीना मुश्किल कर दिया, ऐसे अनगिनत लोगों ने जो सहा है, जो बलिदान दिया है, शांति के लिए, नागरिकों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए, बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो, स्कूल चले, इसके लिए उन्होंने अपने आपको न्योछावर कर दिया है।
दोस्तों,
शायद आजादी के बाद पहली बार पुलिस बेड़े के सामने इतनी बड़ी चुनौती आई और पिछले 10 साल में 50 साल की इस भयंकर बीमारी को वो खत्म करके रहेंगे, यह मेरा विश्वास है और 90 परसेंट केस में वो सफल हो चुके हैं। आप लोग युद्ध को अच्छी तरह जानते हैं, लेकिन घर के भीतर जब युद्ध लड़ना पड़ा होगा, तब कितना धैर्य चाहिए, कितना संयम चाहिए, किसी भी निर्दोष की जान न चली जाए और निर्दोषों की, उनके सपनों को सजाने के लिए जो करना पड़े करने एक अद्भुत काम हुआ है, वो वक्त आएगा जब इसके ऊपर बड़े-बड़े ग्रंथ लिखे जाएंगे और इस प्रकार के गुरिल्ला युद्ध करने वाले लोगों को दुनिया भर में शायद सीखने के लिए मिलेगा। ऐसा पराक्रम नक्सल को समाप्त करने के लिए, माओवादी आतंक को चूर-चूर करने के लिए देश की शक्ति ने किया है, हम सभी देशवासियों को गर्व है दोस्तों, यह हमारी मिट्टी में हो रहा है, हमारे देश में हो रहा है।
साथियों,
GST बचत उत्सव में इन जिलों में रिकॉर्ड बिक्री हो रही है, रिकॉर्ड खरीदी हो रही है। जिन जिलों में कभी माओवादी आतंक ने संविधान का नाम नहीं लेने दिया, संविधान के दूर से भी दर्शन नहीं करने दिए, आज उन्हीं जिलों में स्वदेशी का मंत्र गूंज रहा है और गुमराह हुए नौजवान 3 नॉट 3 छोड़कर के संविधान को माथे पर लगा रहे हैं।
साथियों,
आज भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। हम 140 करोड़ देशवासियों के सपनों को पूरा कर रहे हैं। जमीन से लेकर अंतरिक्ष तक, पहले जो कल्पना से भी परे था, आज वो सफलताएँ, वो उपलब्धियां हम अपने सामने देख रहे हैं। यह गति, यह प्रगति, यह परिवर्तन, देश का विश्वास और विश्वास की कोख से पैदा हुआ विकास का मंत्र राष्ट्र निर्माण के इस महान कार्य में हमारे सैन्य बलों की बहुत बड़ी भूमिका है। आप प्रवाह में बहने वालों में नहीं हैं। गंगा कहे गंगादास, जमुना कहे जमुनादास, यह सेना की रगों में नहीं होता है, प्रवाह में बह जाने वाले लोग आप नहीं हैं। आप में क्षमता है- प्रवाह को दिशा देने की, प्रवाह को मोड़ने की! आप में साहस है- समय को मार्ग दिखाने का! आप में पराक्रम है- अपरिमित को पार कर जाने का! आप में हौसला है- अलंघ्य को लांघ जाने का! हमारी सेना के जवान जिन पर्वत शिखरों पर डटे हैं, वो शिखर भारत के विजय स्तम्भ बनकर के उभरे हैं। आप जिस सागर के सीने पर खड़े हैं, इस समंदर की महान लहरें भी भारत का जयघोष कर रही हैं। भारत माता की जय! सिर्फ आप नहीं, एक-एक लहर बोल रही है, आप से ही सीखा है। आपने समंदर की इन लहरों को भी मां भारती का जयजयकार करने का जज्बा पैदा कर दिया है। इस कोलाहल से भी एक ही स्वर निकलेगा, समंदर की हर लहर से, पहाड़ों से चलती हुई हवा से, रेगिस्तान से उड़ती हुई मिट्टी से, अगर कान खोलकर के सुनेंगे, दिल-दिमाग को जोड़कर के देखेंगे, तो मिट्टी के कण-कण से, जल की बूंद-बूंद से एक ही आवाज निकलेगी- भारत माता की जय! भारत माता की जय! इसी उत्साह और विश्वास के साथ, मैं आप सभी को एक बार फिर आपको, आपके परिवारजनों को, 140 करोड़ देशवासियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। आप सबको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं! विजयश्री के साथ हमेशा विजय को अपने भीतर पालते रहिए, विश्वास को पालते रहिए, संकल्प को सामर्थ्यवान बनाते रहिए, सपने ऊंची उड़ान से भरे हों, इसी शुभकामनाओं के साथ मेरे साथ बोलें- भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय! वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम! बहुत-बहुत धन्यवाद!
Meta Description: Prime Minister Narendra Modi celebrated Diwali 2025 aboard INS Vikrant, highlighting its role as a symbol of Aatmanirbhar Bharat, India’s defense achievements, and the Navy’s global security contributions.</p